विघन्न विपत्ति दुख नाश का, असरण शरण अजोंर ॥
दीन बंधु आरत हरण , प्रणत पाल मम देव!
आश्रय नाथ अनाथ का , आस एक जन सेव !!

Sadguru Sadafal Dev Ji Maharaj
विघन्न विपत्ति दुख नाश का, असरण शरण अजोंर ॥
दीन बंधु आरत हरण , प्रणत पाल मम देव!
आश्रय नाथ अनाथ का , आस एक जन सेव !!